श्रावण मास 2025 की आज पावन शुरुआत हो गई है, और इसके साथ ही देशभर में भोलेनाथ की भक्ति का माहौल छा गया है। सुबह से ही शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी, और हर ओर “हर-हर महादेव” के जयकारे गूंजते नजर आए।
सावन भगवान शिव को समर्पित महीना है, और ऐसा माना जाता है कि इस दौरान महादेव विशेष रूप से अपने भक्तों की प्रार्थनाएं सुनते हैं। पहले ही दिन मंदिरों में जलाभिषेक, रुद्राभिषेक और विशेष पूजन-अर्चना का आयोजन किया गया।
इस बार सावन में कुल 5 सोमवार पड़ रहे हैं, जो धार्मिक दृष्टि से अत्यंत शुभ माने जाते हैं। पहले सोमवार का व्रत 14 जुलाई को रखा जाएगा। श्रद्धालु उपवास रखकर शिवजी को बेलपत्र, गंगाजल और दूध अर्पित करेंगे।
उत्तर भारत में कांवड़ यात्रा की तैयारियाँ भी जोरों पर हैं। लाखों श्रद्धालु गंगाजल लाकर शिव मंदिरों में अर्पित करेंगे। प्रशासन ने यात्रियों की सुरक्षा और सुविधाओं के लिए विशेष प्रबंध किए हैं।
पंडितों का कहना है कि सावन मास में शिव आराधना करने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और मनोकामनाएं पूरी होती हैं। श्रावण मास आत्मशुद्धि, तपस्या और शिव आराधना का प्रतीक है। जो भी इस महीने श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करता है, उसे मनचाहा फल अवश्य प्राप्त होता है।
मुख्य बातें:
- आज से सावन 2025 की शुरुआत
- पहले दिन मंदिरों में उमड़ा भक्तों का सैलाब
- इस बार सावन में पड़ेंगे 5 सोमवार
- कांवड़ यात्रा की तैयारियाँ पूर्ण
- भक्तों में दिखा गहरी आस्था और उल्लास
भगवान शिव को क्यों प्रिय है सावन महीना?
श्रावण मास की शुरुआत होते ही शिवभक्ति का माहौल देशभर में छा गया है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर भगवान शिव को सावन महीना इतना प्रिय क्यों है? इसके पीछे अनेक पौराणिक मान्यताएं और धार्मिक कहानियां जुड़ी हुई हैं, जो इस महीने को अत्यंत शुभ और फलदायी बनाती हैं।

पौराणिक मान्यता
पौराणिक कथा के अनुसार, जब समुद्र मंथन हुआ था, तब उसमें से निकला था विष का भयंकर हलाहल, जिसे संसार की रक्षा के लिए भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण कर लिया। इससे उनका कंठ नीला पड़ गया और वह “नीलकंठ” कहलाए। कहते हैं कि यह घटना सावन माह में ही हुई थी। तभी से यह महीना शिव को प्रिय हो गया।
पार्वती जी की तपस्या का फल:
एक अन्य कथा के अनुसार, मां पार्वती ने सावन महीने में कठिन तप कर भगवान शिव को प्रसन्न किया था, और उन्हें पति रूप में प्राप्त किया। इसलिए अविवाहित कन्याएं इस महीने व्रत रखकर अच्छे वर की कामना करती हैं।
शिवभक्ति का सर्वोत्तम समय:
सावन में भगवान शिव की पूजा, व्रत और जलाभिषेक से भक्तों को विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है। खासकर सोमवार को व्रत रखने और महामृत्युंजय मंत्र का जाप करने से सभी कष्ट दूर होते हैं।



