गणेश चतुर्थी का महत्व
भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और शुभारंभ के देवता माना जाता है। किसी भी महत्वपूर्ण कार्य की शुरुआत से पहले उनकी पूजा करना शुभ माना जाता है। गणेश चतुर्थी न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह लोगों को एकजुट करने वाला सांस्कृतिक उत्सव भी है।
गणेश चतुर्थी पर लोग सुंदर गणेश प्रतिमाएँ घर या सार्वजनिक पंडालों में स्थापित करते हैं। प्रतिमाओं को फूलों से सजाया जाता है और मोदक जैसे प्रसाद अर्पित किए जाते हैं, जो भगवान गणेश का प्रिय भोजन माना जाता है। भक्त रोजाना पूजा, आरती और मंत्रोच्चार करते हैं। अंतिम दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन नदी, तालाब या समुद्र में किया जाता है, और उस समय भक्त “गणपति बप्पा मोरया, पुढच्या वर्षी लवकर या” का जयघोष करते हैं, जिसका अर्थ है – “हे गणपति बप्पा, अगले वर्ष जल्दी आना।”
पर्यावरण के प्रति जागरूकता
पिछले कुछ वर्षों में लोग मिट्टी की प्रतिमाएँ, प्राकृतिक रंग और जैविक सजावट का उपयोग कर पर्यावरण को सुरक्षित रखने पर जोर दे रहे हैं, ताकि जल प्रदूषण कम हो सके।
एकता और उल्लास का पर्व
गणेश चतुर्थी भक्ति, उत्साह और एकता का पर्व है। यह पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है, विशेष रूप से महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा, आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में, साथ ही विदेशों में बसे भारतीय समुदाय भी इसे बड़े हर्षोल्लास से मनाते हैं।



