मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: सुप्रीम कोर्ट में ATS ने हाई कोर्ट के फैसले को दी चुनौती, गुरुवार को होगी सुनवाई
7/11 Mumbai ट्रेन ब्लास्ट केस को लेकर एक बार फिर से मामला गरमा गया है। बॉम्बे हाई कोर्ट द्वारा सभी 12 आरोपियों को बरी करने के फैसले को महाराष्ट्र एटीएस (ATS) ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। इस याचिका पर अब गुरुवार को सुनवाई होगी।
सॉलिसिटर जनरल (SG) तुषार मेहता ने बुधवार को मुख्य न्यायाधीश (CJI) की बेंच के समक्ष मामले को उठाया और जल्द सुनवाई की मांग की। इस पर CJI ने सहमति जताते हुए गुरुवार को सुनवाई की तारीख तय की। गौरतलब है कि सोमवार को ही बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस बहुचर्चित मामले में सभी आरोपियों को रिहा करने का आदेश दिया था, जिसे अब सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
7/11 मुंबई ट्रेन ब्लास्ट केस: क्या हुआ था उस दिन
यह दर्दनाक घटना 11 जुलाई 2006 को मुंबई के उपनगरीय लोकल ट्रेन नेटवर्क में घटी थी। केवल 11 मिनट के अंदर 7 बम धमाके हुए थे, जिनमें 189 लोगों की जान गई और 827 से ज्यादा लोग घायल हो गए थे। यह भारतीय इतिहास के सबसे भीषण आतंकी हमलों में से एक माना जाता है।
लगभग दो दशकों तक चले इस केस में बॉम्बे हाई कोर्ट ने सोमवार को फैसला सुनाया, जिसमें 12 आरोपियों को बरी कर दिया गया। इस फैसले से पीड़ित परिवारों और जांच एजेंसियों में हलचल मच गई, जिसके बाद महाराष्ट्र ATS ने इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा?
बॉम्बे हाई कोर्ट का यह निर्णय 671 पन्नों में दर्ज है। कोर्ट ने कहा:
“किसी अपराध के असली दोषी को सजा देना न केवल कानून के शासन को बनाए रखने का जरिया है, बल्कि नागरिकों की सुरक्षा के लिए भी जरूरी है। हालांकि, जब किसी केस को हल करने का केवल दिखावा किया जाता है और निर्दोषों को कटघरे में खड़ा किया जाता है, तो इससे न केवल न्याय प्रणाली की छवि धूमिल होती है, बल्कि समाज को एक झूठा भरोसा भी दिया जाता है। इससे असली अपराधी आजाद घूमता रहता है, जो असल खतरा है।”
इस टिप्पणी से साफ है कि कोर्ट ने यह माना कि जिन लोगों को दोषी ठहराया गया था, उनके खिलाफ पर्याप्त और पुख्ता सबूत नहीं थे।
अब क्या होगा आगे?
मामले की अगली सुनवाई गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में होगी, जहां यह तय किया जाएगा कि बॉम्बे हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगेगी या नहीं। महाराष्ट्र ATS इस कोशिश में है कि इस फैसले को पलटवा कर, दोषियों को दोबारा न्यायिक प्रक्रिया में लाया जा सके।
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