1. बाज़ार की विस्फोटक वृद्धि
-भारतीय ई-स्पोर्ट्स इंडस्ट्री का आकार ₹1,100 करोड़ तक पहुँचने की उम्मीद है वर्ष 2025 तक, ~46% CAGR के साथ ।
-एक रिपोर्ट के अनुसार, इसका वर्ल्ड मार्केट में हिस्सेदारी बढ़कर ~2% हो सकती है, जबकि पुरस्कार राशि (cash prize pool) में भी भारी बढ़ोतरी होने की सम्भावना है ।
-अंतरराष्ट्रीय रूप से, ई-स्पोर्ट्स मार्केट 2024 में ₹~530 करोड़ (USD 67.8M) थी, जो 2030 तक ₹2,400 करोड़ (USD 307.2M) तक बढ़ने की संभावना है,।
2. सरकारी मान्यता और नियमन
-2022 में भारतीय सरकार ने ई-स्पोर्ट्स को आधिकारिक खेल के रूप में मान्यता दी, जिसका खेलों जैसे क्रिकेट और फुटबॉल की तरह दर्जा है ।
-नवीनतम Online Gaming Act, 2025 ने सभी राज्यों में एक समान नियामक ढांचा स्थापित किया—इसके तहत रियल-मनी गेम्स पर पूरी तरह से रोक, लेकिन ई-स्पोर्ट्स को बढ़ावा देने की दिशा में क़दम उठाया गया है ।
-Jio BLAST eSports जैसी ज्वाइंट वेंचर कंपनियाँ इस क्षेत्र में भारी दिलचस्पी लेकर आ रही हैं ।
3. संरचना, निवेश और करियर
-ई-स्पोर्ट्स फ्रेमवर्क मजबूत करने हेतु एरेना, प्रशिक्षण संस्थान, स्टूडियो, और केंद्र शासित संस्थाएँ (जैसे National Centre of Excellence, Indian Institute of Creative Technologies) की स्थापना हो
bरही है ।
-प्रशिक्षण और प्रतिभा विकास पर ध्यान बढ़ा है—कोचिंग, अकादमी, कॉलेज टूर्नामेंट्स अब आम हो गए हैं ।
-स्ट्रीमिंग, प्रायोजन, मर्चेंडाइज, और इवेंट टिकट जैसी कमाई की धाराएँ फल-फूल रही हैं ।
4. टेक्नॉलॉजी और इनोवेशन
-ई-स्पोर्ट्स में आर्टिफिश ल इंटेलिजेंस (AI), ब्लॉकचेन, क्लाउड गेमिंग, AR/VR जैसी आधुनिक तकनीकों का समावेश बढ़ रहा है ।
-मोबाइल गेमिंग अभी भी सबसे प्रमुख माध्यम है, और विकास की दिशा में भी अग्रणी भूमिका निभा रहा है ।
5. चुनौतियाँ
-पुनरावृत्ति, पूर्वाग्रह: कई सामाजिक और पारिवारिक दृष्टिकोणों में गेमिंग पर नकारात्मक धारणाएँ बनी हुई हैं—इसे तोड़ना अभी भी एक बड़ी चुनौती है
-इन्फ्रास्ट्रक्चर की कमी: Tier-2 और Tier-3 शहरों में ई-स्पोर्ट्स संरचना की कमी है ।
-नियामक अनिश्चितताएँ: कई राज्यों में स्पष्ट नीति की कमी है—उदाहरणतः किसे “स्किल-आधारित” और “जुआ-आधारित” गेम माना जाए, यह अक्सर अस्पष्ट रहता है।
-वित्तीय स्थिरता: कई प्रो खिलाड़ियों के लिए आय अस्थिर है—स्थायी रूप से समर्थन और संसाधन की आवश्यकता है ।


